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आधुनिक इतिहास

1 Solved Question with Answers
  • 2024

    वे कौन-सी घटनाएँ थीं जिनके कारण भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ? इसके परिणामों को स्पष्ट कीजिये। (उत्तर 150 शब्द में दीजिये)

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • भारत छोड़ो आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दीजिये।
    • भारत छोड़ो आंदोलन हेतु उत्तरदायी घटनाओं पर चर्चा कीजिये।
    • भारत छोड़ो आंदोलन के परिणामों पर प्रकाश डालिये।
    • इस आंदोलन को ब्रिटिश शासन के ताबूत में अंतिम कील के रूप में संदर्भित करते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय : 

    8 अगस्त 1942 को शुरू हुआ भारत छोड़ो आंदोलन (QIM) भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने की दिशा में किया गया व्यापक विरोध प्रदर्शन था, जो संवैधानिक सुधारों की पूर्व की मांगों से एक बदलाव का संकेत था।

    मुख्य भाग:

    QIM हेतु उत्तरदायी घटनाएँ:  

    • द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की सहमति के बिना भागीदारी: ब्रिटिश सरकार ने भारतीय नेताओं से परामर्श किये बिना भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में भागीदार के रूप में घोषित कर दिया। 
    • क्रिप्स मिशन की विफलता (1942): इसके प्रस्तावों में स्वायत्तता के बारे में अस्पष्ट दृष्टिकोण के साथ केवल डोमिनियन स्टेटस देना निर्धारित किया गया था। 
    • असंतोष को बढ़ावा: युद्ध के दौरान भारत को अत्यधिक मुद्रास्फीति एवं खाद्यान्न की कमी के साथ भुखमरी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
    • जन-आंदोलन की प्रेरणा: असहयोग आंदोलन (1920) और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34) जैसे पूर्व के आंदोलनों से व्यापक जन-आंदोलन का मज़बूत आधार तैयार हुआ। 
    • तत्काल स्वतंत्रता का आह्वान: महात्मा गांधी की "करो या मरो" की घोषणा से इस आंदोलन की आधिकारिक शुरुआत हुई।

    QIM के परिणाम: 

    • व्यापक भागीदारी: इसमें छात्रों, महिलाओं, श्रमिकों एवं कृषकों सहित समाज के सभी वर्गों ने भागीदारी की।
    • भूमिगत गतिविधियाँ: इस दौरान जयप्रकाश नारायण और अरुणा आसफ अली जैसे नेताओं ने भूमिगत गतिविधियों को अपनाया।
    • औपनिवेशिक शासन का कमज़ोर होना: इस आंदोलन से ब्रिटिश प्रभाव में कमी के साथ भारतीयों द्वारा औपनिवेशिक शासन को अस्वीकार करने के संकल्प पर प्रकाश पड़ा। 
      • इस दौरान स्थानीय लोगों ने स्वतंत्रता की घोषणा करने के साथ समानांतर सरकारें (जैसा कि बलिया और तामलुक में हुआ) गठित की

    निष्कर्ष: 

    भारत छोड़ो आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्यवादी शासन के ताबूत में अंतिम कील था क्योंकि इससे न केवल पूर्ण स्वतंत्रता की मांग को बल मिला बल्कि इसका प्रभाव वर्ष 1946 की कैबिनेट मिशन योजना पर भी देखा गया, जिससे अंततः वर्ष 1947 की भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हुआ।

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